ishq aur ibadat shayari
ऐ इश्क तेरा वकील बनके बुरा किया मैंने
यहां हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा है
तेरे ख़त में इश्क की गवाही आज भी है
हर्फ़ धुंधले हो गए पर स्याही आज भी है
साहिब ए अकल हो तो एक मशविरा तो दो
एहतियात से इश्क करुं या इश्क से एहतियात!
तू यकीन करें या ना करें तेरे साथ से मैं सवर गई
तेरे इश्क के जूनून मे मैं सारी हदों से गुजर गई
लफ़्ज़ों से तुम मेरी तारीफ कर लो
इश्क हम तेरी आंखो में ढूँढ लेंगे
किसी को इश्क़ की अच्छाई ने मार डाला
किसी को इश्क़ की गहराई ने मार डाला
करके इश्क़ कोई ना बच सका
जो बच गया उससे तन्हाई ने मार डाला
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को
इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता
मुक़म्मल इश्क़ तो इबादत है
बस करते चले जाना है!
सोच कर पांव डालना
इसमें इश्क दरिया नहीं दलदल है!
झुका ली उन्होंने नज़रे जब मेरा नाम आया
इश्क़ मेरा नाकाम ही सही पर कही तो काम आया
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