adhura ishq shayari
दिल कितना भी उदास क्यो ना हो मेरा !!
तुम्हारा मुझे संभाल लेना सुकून देता है !!
महफिलों में भी वो !!
और तन्हाइयों में भी वो रहा करती है !!
क्या इश्क़ की हर घडी में !!
ऐसे ही मोहब्बत रहा करती है !!
4 चाँद मेरी ज़िंदगी में तब लग जाएँगे !!
जब मेरे एहसासों के साथ-साथ !!
उनके ज़ज़्बात भी जग जाएंगे !!
खुशबू से है वो जब आसपास भी नहीं होते !!
फिर भी महसूस होते है !!
बार-बार वो हमपे इलज़ाम लगाते है !!
कि वो कितना ही सम्भाले अपना दिल !!
हम हर दफा चुरा ले जाते है !!
मैं भी हुआ करता था वकील इश्क !!
वालों का कभी नज़रें उससे क्या मिलीं !!
आज खुद कटघरे में हूँ !!
इश्क का तो पता नहीं पर !!
जो तुमसे है वो किसी और से नहीं !!
चाँद मेरी ज़िंदगी में तब लग जाएँगे जब मेरे !!
एहसासों के साथ-साथ उनके ज़ज़्बात भी जग जाएंगे !!
चलते तो हैं वो साथ मेरे !!
पर अदाज देखिए जैसे की इश्क !!
करके वो एहसान कर रहें है !!
खुशबू से है वो जब आसपास भी नहीं होते !!
फिर भी महसूस होते है !!
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