dosti ishq shayari
तुम चाहो अगर तो लिख दो इश्क़ मेरी तक़दीर में !!
तुमसे खूबसूरत स्याही तो जन्नत में भी नहीं होगी !!
वज़ाहत इसकी पूछोगे तो फिर लाज़िम है उलझोगे !!
ये अक्सर बे-वजह होता है जिसको इश्क़ कहते हैं !!
हमने हार भी क़ुबूल की जीत से जफा करके !!
सुना था इश्क जंग है देखा इक दफा करके !!
दर्द होगा बे चैनी होगी बे करारी होगी !!
सुनो अगर इश्क हो तो यह बीमारी होगी !!
जलाकर अपना कलेजा चाय को बांहों में भरता है !!
कुल्हड़ जैसा इश्क़ भला कौन करता है !!
हां फसाद है अफवाह है मुशरिकिनो में भी !!
इश्क उरोज पे हो तो महबूब खुदा दिखता है !!
तेरे उतारे हुये दिनों को पहनकर !!
मैं हर रोज इश्क़ नया कर लेता हूँ !!
मैं वो मजनू हूं जो इश्क के नारे मारू !!
तो ठोकरे खाई हुई हर कब्र से लैला निकले !!
इश्क ने देख क्या तबाही मचा रखी है !!
आधी दुनिया पागल और आधी शायर बना रखी है !!
नहीं पसंद इश्क में मिलावट मुझको !!
गर वो मेरी है तो खोवाब भी बस मेरा देखे !!
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