बदमाशी छोड़ दी हमने दुश्मन जानते हैं अभी भी !!
खौफ देख हमें बाप मानते है !!
खुद को शहंशाह समझ कर घर से ना निकालो !!
क्योंकि आज शहंशाह भी भर्ती हो गए हैं !!
इज्जत दे रहा हु बेटे !!
लठ देने पे मजबूर मत कर !!
रुतबा ही ऐसा है लाडले !!
दुश्मन तो होंगे ही !!
लोग मेरा चेहरा देखे हो या ना देखे हो !!
पर मेरा नाम सुनते ही औकात पे आ जाते है !!
रुतबा ही ऐसा है लाडले !!
दुश्मन तो होंगे ही !!
मैं कभी लोगों कि इंसल्ट नहीं करता !!
मैं बस उन्हे उनकी औकात बता देता हूँ !!
गरज उठे गगन सारा समुन्दर छोड़ें अपना किनारा !!
हिल जाए जहान सारा जब गूंजे महादेव का नारा !!
हम अपने मिजाज पे चलते है !!
साहब हमपे हुकुम चलाने की गुस्ताखी मत करना !!
खुद से कभी हारा नहीं !!
तो ये दुनिया क्या हारा पायेगी !!
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