ek khwab shayari
इंसान भी अजीब है ना जानवर से कितना !!
परहेज है और खुद जानवर बनता जा रहा !!
इस जीभ का रंग तो देखो इसे जो पसंद है !!
उसे मीठा और सबको कड़वा बोलती है !!
वो गलत है ये तुम्हे पता है तो इसमे !!
अफ़सोस क्यों उनकी भी बारी आएगी !!
मेरे झुककर सलाम करने को कमजोरी मत !!
समझना ये गलती तुम्हे भारी पड़ सकती है !!
समझ में आ गया तो क्या परखना नहीं आया !!
तो परख के देख ले फिर समझ में आ जायेगा !!
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जहाँ उम्मीद नहीं होती वहां !!
तकलीफ की कोई गुंजाइश भी नहीं होती !!
हर कोई परेशान है मेरे ज्यादा बोलने से !!
और मैं परेशान हूँ अपने अंदर के ख़ामोशी से !!
पहले पड़ती थी बहुत सी बातों पर !!
फर्क अब किसी बात पर नहीं पड़ती !!
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क्यों मंजिल से डरते हो शुरू !!
करो मंजिल अच्छा फल देगी !!
रास्ते से मत डरो मंजिल पर नजर रखो !!
दुनिया की तरफ मत देखो !!
अपने हौसलो पर ऐतबार रखो !!
haseen khwab shayari
ईमानदारी जिस इंसान के पास होती है !!
रब की रहमत उसके साथ होती है !!
टूटा तो यहां हर परिंदा है !!
पर जो टूट कर दोबारा !!
खड़ा उठ सके वही जिंदा है !!
जो व्यक्ति अपने विवेक !!
का सही उपयोग करता है !!
वही इंसान अपने लक्ष्यो !!
को हासिल करता है !!
हमने भी उन लोगो से दिल लगाया !!
जिन्होने कभी हमे दिल से ही नही लगाया !!
भीड़ से हटकर अनजान !!
रास्तो पर चलना ही जिंदगी है !!
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