ishq aur mohabbat ki shayari
आज कोई गज़ल तेरे नाम ना हो जाए
आज कही लिखते लिखते शाम ना हो जाए
दिल इश्क से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है
उम्मीदों से ही घायल है उम्मीदों पर ही जिंदा !!
हुस्न की मल्लिका हो या साँवली सी सूरत…!!
इश्क अगर रूह से हो तो हर चेहरा कमाल लगता है…!!
अजब चिराग हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
थक गया हूँ मैं हवा से कहो बुझाए मुझे।
इश्क का रोग है जाता नहीं कसम से
गले में डालकर सारे ताबीज देखे मैंने!
सुनो मुझे इश्क़ हुआ है
दूर रहना तुम हमसे सुना है
ये मर्ज छूने से बढ़ जाता है !
खुदा तू इश्क न करना वरना बहुत पछतायेगा
हम तो मर के तेरे पास आयेंगे तू कहाँ जायेगा!
ज़मीन से आसमान तक इश्क़ का ही बोल बाला है
इश्क़ के करने का लेकिन सभी का ढंग निराला है!
जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे
उसे ज़िंदगी क्यूँ न भारी लगे !
मै खुद लिखता हूँ मोहब्बत तुम आइने को संवार लो
मै अपनी खुशबु बिखेर देता हूँ
तुम अपनी जुल्फों को सवार लो !
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