4 line shayari ishq
क़र्ज़ चढ़ गया है अब तुम पर मेरे प्यार का !!
तो सवाल ही नहीं उठता तुम्हारे इंकार का !!
जब होना होता है तब होके रहता है !!
ये इश्क़ है इस पर किसका ज़ोर चलता है !!
हर दिन याद कर हाज़िरी लगा देते है !!
तुम्हारे दिल में पल रहे हमारे इश्क़ की !!
होशवालों को खबर क्या कि बेखुदी क्या चीज़ है !!
इश्क़ कीजिये फिर समझिये कि ज़िंदगी क्या चीज़ है !!
वो जितना मुझे पलके उठा देख लेते है !!
उतना ही मैं नीलम हो जाता हूँ !!
तुझसे ना मिलने की तड़प कुछ ऐसी है कि !!
जैसे मेरी सांस में सांस ना हो !!
तुम हकीकत-ऐ-इश्क़ हो या फरेब मेरी आँखों का !!
ना दिल से निकलते हो ना मेरी ज़िंदगी में आते हो !!
वो कहते है कि भूल जाओ पुरानी बातो को !!
कोई उसे समझाए कि इश्क़ पुराना नहीं होता !!
इश्क़ का समुन्दर भी क्या समुन्दर !!
जो डूब गया वो इश्क़ और जो बच गया वो दीवाना !!
इश्क़ का रोग कुछ ऐसा लगा है !!
कि लोग क्या कहेंगे अब मतलब नहीं रहा है !!
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